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पुरवाई

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

टूटने और जुड़ने में


बहुत अधूरा सा

कभी 

पूरा नहीं होता।

कुछ टूटा सा

कभी 

गहरे टूट जाता है।

कूछ 

टूटने में

जुड़ाव की

गुंजाइश

हमेशा रहती है।

टूटने 

और 

जुड़ने में

समय

बहुत प्रमुख 

हो जाया करता है।

 

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