सूखा
मैं रख लेता हूँ
तुम हरियाली
रख लेना।
मैं
जिंदगी के
पीले से
दिनों को
सहेज लूंगा
तुम
हरे
दिनों में रहकर
सिंचित करना
घर
और
हमारी खुशियों को।
मैं
सूखे की कुछ तह
पलटना चाहता हूँ
जानता हूँ
उसमें
कहीं
कोई हरापन
अवश्य मिलेगा।
तुम हरेपन
में
सूखना मत
क्योंकि
हमें
बुनना है
जीवन का दूसरा खंड।
मैं
और
तुम
एक उम्र के बाद
सूखा
रख लेंगे
और
जिंदगी का हरापन
सजा लेंगे
घर की सबसे
खूबसूरत दीवार पर।
उम्र के
हर कालखंड में
हरापन
साथ नहीं चलता।
कोई
कालखंड
सूखा
भी अच्छा लगता है।
उम्र का
दर्शन है
वो
सूखा और हरापन
दोनों
दिखाती है।
यकीन मानो
किसी को
हरापन पहले मिलता है
कोई
सूखा आत्मसात कर
हरे तक पहुंचता है
लेकिन
तब
हरापन
सूखे का पथप्रदर्शक होता है।
ग्राही अनुभव ।
ReplyDeleteजी बहुत आभार।
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