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पुरवाई

Monday, June 21, 2021

गरीब की झोपड़ी का भूगोल

 










गरीब 

की झोपड़ी का भूगोल

क्या कभी 

किसी चुनाव का 

पोस्टर होगा ?

गरीब

किसी चुनाव में चयन का आधार होकर

विकास के दावों 

की छाती पर 

पैर रखकर

बना सकेंगे

कभी 

अपनी भी कोई खुशहाल दुनिया।

पेट में अंतड़ियों का

विज्ञान

भूख के भूगोल में दबकर

हमेशा से 

इतिहास होता रहा है। 

टपकती झोपड़ियों में 

सपने भी

हवा के साथ 

झूलते रहते हैं

बांस की किसी कील पर 

होले से लटके 

किसी ख्यात फिल्मी सितारे के 

पोस्टर की भांति।

पोस्टर में दरअसल

गरीब की

ख्वाहिशें झूलती हैं

आंखों में 

सभ्यता के दो चमकीले बटन

और

शरीर पर 

बेमेल और बेरंग से कपड़े

और 

अमूमन 

नंगा जिस्म। 

गरीब

क्या है साहब ?

किसी 

नाले के किनारे

गंदगी के बीच

जिंदगी की

जबरदस्त आपाधापी। 

अर्थ में विभाजित

समाज में

उछाल दी जाने वाली

चवन्नी

या 

आठ आना

जिसे 

उठाने में

पैरों तले 

अक्सर कुचल दिए जाते हैं 

गरीबों के हाथ

इस बेरहम

जंगल में

भागते महत्वकांक्षी

मतभेद वाली

जिद के नीचे।

गरीब केवल चुनावी

बिल्ले की तरह है

जिसे चुनाव के दौरान

सफेदपोश 

अपने कुर्ते पर सजाते रहे हैं

और चुनाव होते ही

कुर्ते सहित

उतार फेंकते हैं

उस गरीब बिल्ले को।

70 के दशक के 

गरीब चुनावी बिल्ले 

अब 21वीं 

सदी तक आते आते

सठिया गए सिस्टम

की 

सबसे बड़ी प्रदूषित

मानसिकता की विवशता कहलाते हैं।

अब

वे गरीब के साथ

नाउम्मीद गरीब हैं

जिन्हें केवल

रोटी

कपड़ा

और 

श्रम में ही खोजना है

पसीने से चिपटी

देह वाला कोई

नमकीन सपना।  


( बिल्ला का अर्थ पूर्व के वर्षां में जब चुनाव मतपत्र से हुआ करते थे तब नेताओं के पक्ष में बिल्ले बनाकर बांटे जाते थे जिन्हें कपड़ों पर लगाया जाता था )


10 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (22 -6-21) को "योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका कामिनी जी, आपने मेरी रचना को सम्मान दिया उसके लिए साधुवाद। नेह और भरोसा यूं ही बनाए रखियेगा।

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  2. उपेक्षित सर्वहारा के जीवन की कटु सच्चाई !

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  3. नमस्कार आदरणीय गगन शर्मा जी...मैं जानता हूं कि इनकी जिंदगी बेहद सख्त है और राजनीति इन्हें अब तक केवल छलती आई है लेकिन फिर भी उम्मीद करता हूं कोई सवेरा आएगा केवल इनके....। आभार आपका।

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  4. साहित्यिक धर्म हेतु सार्थक लेखन..

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    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका विभा रानी जी।

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  5. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन

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    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका अनुराधा जी।

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  6. बहुत ही सशक्त लेखन ...

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  7. जी बहुत आभारी हूं आपका सीमा जी...।

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