मैं कोई सिंदूरी दिन लिखूं
तुम सांझ लिख देना
मैं कोई सवेरा खिलूं
तुम उल्लास लिख देना
मैं कोई मौसम लिखूं
तुम बयार लिख देना
मैं कोई नेह लिखूं
तुम उसका रंग लिख देना
मैं कोई अहसास लिखूं
तुम उसकी प्रकृति लिख देना
मैं कोई लम्हा लिखूं
तुम उसकी सादगी सी, श्वेत कसक लिख देना
मैं पक्षियों का निर्मल प्रेम लिखूं
तुम उनकी मुस्कान लिख देना
मैं धरा की दरकती दरारों की परत से झांकते अंधेरे में कुम्लाई जिंदगी लिखूं
तुम दुर्वा की मुलायम सी उम्मीद लिख देना
मैं लिखू
तुम लिखो
देखना ये जिंदगी की किताब जैसी ही तो है..
लिख लेंगे, जी लेंगे, समझ लेंगे
किसी गहरी छांव वाले दरख्त के बीच
किसी थके हुए पंछी की भांति
हमें ये भी राहत देती रहेगी, ये लेखनी, ये जिंदगी की गहरी स्याही...।
लेखनी रहत तो देती ही है सुंदर भाव |
ReplyDeleteआभार आपका अनुपमा जी...
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२८-०८-२०२१) को
'तुम दुर्वा की मुलायम सी उम्मीद लिख देना'(चर्चा अंक-४१७०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आभार आपका अनीता जी...
Deleteप्रेम की हर किताब के
ReplyDeleteपृष्ठ में रखे
शब्दों के मोरपंखी छुअन
हौले से छूते है मन को,
भाव रंगे होते हैं
गाढ़े एहसास से
ज़िंदगी की
थकी हुई शाम
जिसकी स्मृतियों की
चुसकी से
तरोताज़ा महसूस होती है।
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सादर प्रणाम सर
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां हैं...। बहुत आभारी हूं आपका श्वेता जी।
Deleteहमें ये भी राहत देती रहेगी, ये लेखनी, ये जिंदगी की गहरी स्याही...।
ReplyDeleteसचमुच लेखत राहत तो देती है
लाजवाब सृजन।
जी बहुत आभारी हूं आपका सुधा जी।
Deleteवाह बहुत खूब, लाजबाव सृजन
ReplyDeleteजी बहुत आभारी हूं आपका भारती जी।
Deleteबहुत सुंदर भाव.. लेखनी राहत तो देती ही है.. और साथ में साथी भी ऐसा हो तो बात ही क्या है...
ReplyDeleteजी बहुत आभारी हूं आपका विकास जी।
Deleteबहुत सुन्दर भावसिक्त रचना ।
ReplyDeleteजी बहुत आभारी हूं आपका मीना जी।
Deleteदेखना ये जिंदगी की किताब जैसी ही तो है..
ReplyDeleteलिख लेंगे, जी लेंगे, समझ लेंगे
किसी गहरी छांव वाले दरख्त के बीच
किसी थके हुए पंछी की भांति
हमें ये भी राहत देती रहेगी, ये लेखनी, ये जिंदगी की गहरी स्याही...।
बहुत खूबसूरती से जिंदगी का हर अहसास आपने लड़ियों की तरह पिरो दिया,बहुत बधाई आपको ।
जी बहुत आभारी हूं आपका जिज्ञासा जी।
Deleteवाह!क्या बात है,
ReplyDeleteसच ही है...
क्षितिज चाहे मिले नहीं
पर मन आकाश छुआ करता है ।
सुंदर भाव।
जी बहुत आभार आपका।
Deleteआप विसंगतियाँ लिखिए
ReplyDeleteलेकिन कल्पना में
खूबसूरत लम्हे ही चुन लीजिए ।
और फिर
यूँ ज़िन्दगी में कुछ राहत की
ख्वाहिश बुन लीजिए ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जी बहुत आभार आपका।
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