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पुरवाई

Friday, January 27, 2023

वसंत पीला सा


ये पीला सा वसंत
उन उम्रदराज़ आंखों में 
कोरों की सतह पर
नमक सा चुभता है
और 
आंसू होकर 
यादों में कील सा धंस जाता है। 
धुंधली आंखें वसंत 
को जीती हैं
ताउम्र
जानते हुए भी 
नमक की चुभन।  
वसंत उम्रदराज़ साथी सा 
सुखद है
जो कांपते शरीर
जीवित रखता है 
अहसासों का रिश्ता। 
वसंत तब अधिक चुभता है
जब 
टूट जाती है साथी से 
अहसासों की डोर। 
तब
बचता है केवल पीला सा सन्नाटा
जो चीरता है
शरीर और अहसासों को 
तब
सपने सलीब पर रख
शरीर पीले होने लगते हैं।
हां 
वसंत 
उम्रदराज़ नहीं होता
केवल सुलगता है
थके शरीरों की पीठ पर।


 

4 comments:

  1. बसंत तो एक है पर हमारी मनः स्थितियां इसको अलग अलग रूपों में प्रस्तुत करने को बाध्य करती हैं। कितना सही लिखा आपने
    "वसंत तब अधिक चुभता है
    जब
    टूट जाती है साथी से
    अहसासों की डोर।
    तब
    बचता है केवल पीला सा सन्नाटा"
    और इसी बसंत में कोई मिलन के गीत लिखता।

    बहुत सुंदर मार्मिक चित्रण।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका रुपा जी...।

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