नदी
से रिश्ता
अब
सूख गया है
या
नदी के साथ
बारिश के दिनों वाले
मटमैले पानी के साथ
बहकर
समुद्र के पानी में मिलकर
खारा हो गया है।
नदी से रिश्ते में देखे जा सकते हैं
हजार दरकन
और
योजन सूखा।
एक दिन
रिश्ते के बेहतर होने की आस ढोती हुई नदी
समा जाएगी
हमेशा के लिए पाताल में।
नदी
और
हमारे रिश्ते में
अब भी
उम्मीद की नमी है
चाहें तो
बो लें कुछ अपनापन
रिश्ता
और बहुत सी नदी।
जी नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
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