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पुरवाई

Tuesday, February 9, 2021

कांटों के समाज में शोर नहीं है

 


कांटों 

के पेड़ 

पर 

फूल 

का उगना

एक 

समाज का उदय है।

कंटीले 

पौधों का समाज

केवल घूरता 

नज़र आता है।

फूलों 

का समाज 

कांटों

को 

स्वीकार नहीं करता।

कांटों का समाज

फूलों को

चेहरा

देता है

मुस्कान भी।

कांटों के समाज में

शोर नहीं है

केवल 

विचारों का

हल्लाबोल है।

फूलों का समाज

चेहरों

पर 

ओढ़ता है रोज 

एक 

नया झूठ।

फूलों 

का समाज 

कांटों पर

शोर 

से मिली पराजय

का प्रतिफल है...।

6 comments:

  1. बहुत खूबसूरत रचना है आपकी..


    सादर नमन

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    1. सुप्रभात... आभार आपका...।

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  2. Replies
    1. सुप्रभात... आभार आपका।

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  3. बहुत ही खूबसूरत सा तुलनात्मक विश्लेषण..अच्छा लगा..

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  4. जी बहुत आभार...। सुप्रभात

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