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पुरवाई

Monday, February 8, 2021

आधी बांह का स्वेटर

 



प्रेम

सांझ में

अधिक सुर्ख हो जाता है।

उम्र

का पहला खंड

शाब्दिक

दूसरा

व्यवसायिक

और

तीसरा

मार्मिक

होता है।

जीवन का पहला सिरा

मां के हाथों

ऊन

से बुना गया

आधी

बांह का स्वेटर है।

दूसरा सिरा

जीवनसाथी

के

व्यवहार से

बुना हुआ घर है।

तीसरा सिरा

आपके बुने संस्कारों

का

इम्तेहान है।

जीवन में

असफल कोई नहीं होता

कुछ

हंसने के लिए जीते हैं

कुछ

हंसते हुए जीते हैं।

उम्र के तीसरे सिरे पर

कुछ

खो जाते हैं

कुछ

अपने को पा जाते हैं।

बस और क्या है जिंदगी।



6 comments:

  1. ना खण्ड में ना सिरे में चौथे का जिक्र आया
    फिक्र है जानने कि चौथे में क्या जाना क्या पाया

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  2. अब दूसरे कालखंड में ही विरक्ति हो जाती है, चौथे खंड तक जीवन को समझने और जीने का साहस कम ही बच पाता है, बहुत कुछ दरक रहा है जो टूटता दिख रहा है लेकिन आवाज नहीं हो रही। चौथे खंड का सच अब केवल चुनिंदा विचारों का हिस्सा है। आभार आपका विभा रानी श्रीवास्तव जी।

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  3. चौथे में स्वेच्छा से संन्यास अर्थात बाल मन तब वर्तुल पूर्ण होता है ।

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    1. जी लेकिन अब जीवन का हर खंड खुशियों के संन्यास की तरह है...।

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  4. सुन्दर सारगर्भित रचना जीवन सन्दर्भ का शाब्दिक चित्रण..

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