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पुरवाई

Wednesday, July 28, 2021

जिंदगी जहाज होती है

जिंदगी 
जहाज होती है
पानी का जहाज।
कभी
सतह पर 
शांत
बहती
कभी
तेज हवा में 
हिचकोले लेती।
कभी
मीलों चलकर मुस्कुराती
कभी
पल भर में 
खीझ जाती।
कभी
अथाह सागर पर 
लिख देती
भरोसा
कभी
धोखे पर 
चीख उठती।
कभी
तैरते हुए किनारे लग जाती
फिर 
लौट आती
बीच समुद्र के
कभी
किनारे ही डूब जाती।
जिंदगी
जहाज है
पानी का जहाज।
कभी
शांत लहरों पर
गीत गुनगुनाती
कभी
तूफान में
भयाक्रांत हो जाती।
जहाज
और 
जिंदगी
दोनों में समानता है
कि
दोनों
उम्रदरा़ज होकर
किनारे
लग जाते हैं
और 
एक दिन
टूटकर
बिखर जाते हैं...।


17 comments:

  1. वाह, जिंदगी की हकीकत बयां करती खूबसूरत कविता,सच ऐसी ही तो होती है,जिंदगी ।

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    1. आभारी हूं आपका जिज्ञासा जी...।

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  2. बहुत सुंदर सृजन। 🌼
    बिल्कुल सही कहा आपने।♥️

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    1. आभारी हूं आपका शिवम जी...।

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  3. क्या खूब वाह..अति सूक्ष्म विश्लेषण सर।
    संपूर्ण जीवन-यात्रा का सार लिख दिया आपने
    ज़िंदगी जहाज होती है
    जिसकी रहस्यमयी यात्राओं की
    गर्भ में छुपा है
    सृष्टि का विस्तार।

    प्रणाम
    सादर।

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  4. आभारी हूं आपका मीना जी। मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद।

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  5. बहुत बहुत आभारी हूं आपका श्वेता जी...।

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  6. आपने जो कहा ठीक कहा शर्मा जी।

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    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका

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  7. सुंदर तुलना की है | सुंदर एहसास से गुंधी रचना |

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    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका अनुपमा जी।

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  8. Replies
    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुमन जी।

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  10. बेहतरीन रचना।

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  11. एकदम सटीक तुलना की है आपने सर सरहनीय रचना!

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