पेज

पुरवाई

Thursday, December 23, 2021

स्याह तस्वीर


भूख का रंग नहीं होता
आकार भी नहीं
चेहरा होता है
जली हुई रोटी सा
झुलसा और गुस्सैल चेहरा।
फटे जीवन में 
जली रोटी की महक
बच्चे की ललचाई और गहरे धंसी आंखों में
जीवन की उम्मीद है।
भूख का एक सिरा
घर की चारपाई से बंधा होता है
और 
दूसरा सिरा 
बेकारी की फटी छत की तिरपाल से। 
भूख की पीठ पर 
बेबसी के निशान
उम्र के साथ गहरे होते जाते हैं।
कंदील में रोशनी में 
झुलसी रोटी और बच्चे 
एक जैसे लगते हैं। 
रोटी की स्याह तस्वीर
चेहरे पर हर पल नजर आती है।
भूख का कद 
पेट से होकर
उम्र के अंतिम सिरे तक जाता है।
भूख एक उम्मीद पालती है
और
अगले ही पल
बांझ हो जाती है।
भूख पर शोर 
एक आदत है, चीख है, सच है।
भूख पर नीति
केवल 
चेहरे बनाती है। 
चेहरे पर भूख केवल एक सच है
जिसमें तलाशी जाती है भूख
और मिटाई जाती है
भूख।
भूख पर दस्तावेज
अक्सर कोरे नज़र आते हैं
क्योंकि भूख शब्दों में 
लिखी नहीं जा सकी अब तक।
भूख 
रोती हुई मां के चेहरे पर 
चिंता की गहरी झाई है
जिसे 
पहले समय
फिर समाज
और आखिर में 
बच्चे भी कर देते हैं
अनदेखा।
भूख केवल 
पल पल मौत की ओर बढ़ता 
हलफनामा है।।





 

13 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२४-१२ -२०२१) को
    'अहंकार की हार'(चर्चा अंक -४२८८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत आभार आपका अनीता जी...।

      Delete
  2. Replies
    1. बहुत आभार आपका दिव्या जी...।

      Delete
  3. जी बहुत आभार आपका श्वेता जी...।

    ReplyDelete
  4. गहरे भावों को व्यक्त करती बहुत ही मार्मिक रचना..!

    ReplyDelete
  5. रोती हुई मां के चेहरे पर
    चिंता की गहरी झाई है
    जिसे
    पहले समय
    फिर समाज
    और आखिर में
    बच्चे भी कर देते हैं
    अनदेखा।
    भूख केवल
    पल पल मौत की ओर बढ़ता
    हलफनामा है।
    भूखवह भी हर जरूरत की ...अपने बच्चे के अरमानों के पूरा होने...उम्र भर और गहराती जाती हैं ये झाइयां माँ के चेहरे पर ...क्यों कि माँ की भूख हमेशा अनदेखी की जाती है...
    लाजवाब सृजन
    वाह!!!

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुंदर।
    सादर

    ReplyDelete
  7. हृदयस्पर्शी रचना।

    ReplyDelete
  8. भूख का न रंग होता है न आकार ,यहाँ तक कि मज़हब भी नहीं होता । मार्मिक दृश्य पैदा किया है आपके शब्दों ने ।

    ReplyDelete
  9. सत्य को करीब से दर्शाती हुई आपकी रचना
    बहुत ही सारगर्भित

    ReplyDelete
  10. भूख का कोई चहरा नहीं होता सिर्फ भूख होती है ...
    यथार्थ के धरातल पर लिखी रचना ...

    ReplyDelete
  11. मार्मिक रचना

    ReplyDelete