कविताएं मन तक टहल आती हैं, शब्दों को पीठ पर बैठाए वो दूर तक सफर करना चाहती हैं हमारे हरेपन में जीकर मुस्कुराती हैं कोई ठोर ठहरती हैं और किसी दालान बूंदों संग नहाती है। शब्दों के रंग बहुतेरे हैं बस उन्हें जीना सीख जाईये...कविता यही कहती है।
'जागरण' अपने लिए ही नहीं सबके लिए सदा सुख लाता है
आभार आपका अनिता जी।
वाह!
वाह
'जागरण' अपने लिए ही नहीं सबके लिए सदा सुख लाता है
ReplyDeleteआभार आपका अनिता जी।
Deleteवाह!
ReplyDeleteवाह
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