सुना है
गिद्व खत्म हो रहे हैं
गौरेया घट रही हैं
कौवे नहीं हैं
सोचता हूं
पानी नहीं है
जंगल नहीं है
बारिश नहीं है
मकानों के जंगल हैं
तापमान जिद पर है
पता नहीं
कौन
किसे खत्म कर रहा है ?
अगली खबर पर नजर गई
हजारों पेड़ कटेंगे
हाईवे के लिए।
मैं
बाहर लटके
घोंसले के बाहर
हवा में हिलते
तिनके देख रहा था।
(साभार फोटो फ्री पिक डॉट कॉम)
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहरीश कुमार जी आभार
Deleteमानव के लोभ की कोई सीमा नहीं है
ReplyDeleteThanks Mam
Deleteसुन्दर | दीप पर्व शुभ हो |
ReplyDeleteआभार सुशील जी
Delete