ये कैसा चक्र है
हम साइकिल से
विकास के शीर्ष पर पहुंचे
आकाश नापा
समुद्र के तल को छू लिया
चंद्रमा की सतह पर पैर रखे
और
लौटकर
दोबारा साइकिल पर ही आ गए
अब यह कहते हैं
स्वस्थ्य रहना है तो
साइकिल बेहतर है
सोचता हूं
विकास के उस फेरे का क्या
जो हमें
साइकिल से लौटाकर
साइकिल पर ही ले आया।
अब हम बेडोल शरीर से
चढ़ा रहे हैं
पुरानी साइकिल की चेन
पसीना पौंछते हुए
मुस्कुरा रहे हैं।
(फोटोग्राफ गूगल से साभार )
वाह
ReplyDeleteThanks Mam
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शुक्रवार 01 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteबहुत आभार आपका
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