ये कैसा चक्र है
हम साइकिल से
विकास के शीर्ष पर पहुंचे
आकाश नापा
समुद्र के तल को छू लिया
चंद्रमा की सतह पर पैर रखे
और
लौटकर
दोबारा साइकिल पर ही आ गए
अब यह कहते हैं
स्वस्थ्य रहना है तो
साइकिल बेहतर है
सोचता हूं
विकास के उस फेरे का क्या
जो हमें
साइकिल से लौटाकर
साइकिल पर ही ले आया।
अब हम बेडोल शरीर से
चढ़ा रहे हैं
पुरानी साइकिल की चेन
पसीना पौंछते हुए
मुस्कुरा रहे हैं।
(फोटोग्राफ गूगल से साभार )
वाह
ReplyDeleteThanks Mam
Deleteबहुत आभार आपका
ReplyDeleteदीप पर्व शुभ हो |
ReplyDeleteआपको भी शुभकामनाएं
Deleteबहुत सुंदर रचना
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