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पुरवाई

Friday, March 5, 2021

आसमान की श्वेत काया


आसमान की 

सतरंगी काया

श्वेत बादलों के उत्सव

का हिस्सा है।

बादलों पर

उत्सव में

सबकुछ साफ नज़र नहीं आता।

बादलों में

बिना

दीवारों के घर हैं।

घरों में

खिड़कियां भी

और उनसे

झांकते

हमारे अपने जो

आसमान की श्वेत काया हो गए।

वे देखते हैं हमें

हमारी नेकी पर 

खुश होते 

और

बुरे बर्ताव पर खिन्न।

नज़र नहीं आते

वे

बादलों के उत्सव का 

हिस्सा होते हैं।

वो जो आसमान पर

रंग देख रहे हो न

वो 

उन शांत और बेकाया 

लोगों 

को 

अपनों से मिलवाने का 

तरीका है।

खैर

बादलों की कालोनी

के 

घर

अब भी महकते है

अपनेपन की खुशबू से...।


8 comments:

  1. बहुत सुंदर कल्पना,बादल आसमान की काया...
    सुंदर भाव।
    अलग रंग से गढ़ी सुंदर कविता सर।

    सादर।

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    1. जी आभार आपका श्वेता जी..

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  2. बहुत बहुत आभार आपका

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  3. वाह!बहुत ख़ूबसूरत लिखा है आपने।
    सादर

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  4. आभार आपका अनीता जी...।

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