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No posts with label सांझ रात स्त्री कर्मठ नौकाएं दोपहर सफर अनुभूति. Show all posts
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कागज की नाव

कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...