सच
सपने ऐसे ही तो हैं
सुर्ख
और
रसीले...।
हां
सच यह भी है
जिंदगी
में
हर पल बदलता है
उम्र का चेहरा
और
उम्र के कई पढ़ाव बाद
झुर्रियों के बीच
सूखी आंखों में
सपनों
के सूखे शरीर
टंगे होते हैं
घर की सबसे
बेबस
मजबूरी की डोर
पर
सबसे जिद्दी कील पर।
सपनों के रंग
उम्र के आखिर पढ़ाव पर
मटमैले भूरे हो जाते हैं
तब
आंखों में
यही सपने
गहरे समा चुके होते हैं
समय के
रेगिस्तान
वाह ! बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय गगन जी।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी। मेरी रचना को स्थान देने के लिए साधुवाद।
ReplyDelete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी बहुत बहुत आभार आपका श्वेता जी।
Deleteसुन्दर सत्य कथन
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका विभा रानी जी।
Deleteवाह
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका सुशील जी।
Deleteसमय के रेगिस्तान में धुंधले सपने समय के साथ आँख में रेत की किरकिरी भी ले आते हैं । चुभने लगते हैं फिर यही सपने ।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका संगीता जी।
Deleteसपनों का जमीनी हकीकत... बहुत सुंदर बानगी ।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका अमृता जी।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२१-०८-२०२१) को
'चलो माँजो गगन को'(चर्चा अंक- ४१६३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी बहुत आभारी हूं अनीता जी आपका। मेरी रचना को स्थान देने के लिए...। साधुवाद, अन्यथा न लें...मैं बताना जरुरी समझता हूं कि यह रचना इस मंच पर आ चुकी है एक दिन पहले ही...। मैं केवल इतना चाहता हूं कि आज मेरी रचना की जगह कोई और रचना को स्थान दिया जा सकता था...इसीलिए मैं लिख रहा हूं...साधुवाद...। मैं यह भी मानता हूं कि यह कार्य संभवतः त्रुटिवश हो गया हो...।
Deleteजीवन का सटीक चित्रण। खूबसूरत और गहन रचना।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteबहुत खूबसूरत चित्रण
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका प्रीति जी।
Deleteउम्र के कई पढ़ाव बाद
ReplyDeleteझुर्रियों के बीच
सूखी आंखों में
सपनों
के सूखे शरीर
टंगे होते हैं
वाह!!!
सपनों के सूखे शरीर!!!
बहुत ही सुन्दर चिन्तनपरक।
जी बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।
Deleteस्वप्न और यथार्थ का संगम ,सुंदर रचना |
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका अनुपमा जी।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका उर्मिला जी।
Delete'सपनों के रंग
ReplyDeleteउम्र के आखिर पढ़ाव पर
मटमैले भूरे हो जाते हैं'...बहुत खूब!
जी बहुत बहुत आभार आपका गजेंद्र जी।
Deleteसपनों के रंग
ReplyDeleteउम्र के आखिर पढ़ाव पर
मटमैले भूरे हो जाते हैं... सुन्दर अभिव्यक्ति!... बहुत अच्छी रचना!
जी बहुत बहुत आभार आपका गजेंद्र जी।
Deleteओह , हृदय स्पर्शी सृजन।
ReplyDeleteगहन संवेदना समेटे।
बहुत सुंदर।
जी बहुत आभार आपका कुसुम जी।
Deleteसपने में उठे भाव और उनके माध्यम से विविध बिंदु को छूती आपकी गहरी रचना ... बहुत भावपूर्ण सृजन ...
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका दिगम्बर नासवा जी।
Delete