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Monday, March 1, 2021

पलाश


तुम्हें 
पलाश पसंद है
हां पलाश
जिसके 
नीचे हमने भरे थे 
सपनों में रंग।
पलाश
हमारे जीवन की 
किताब का
आवरण है।
पलाश पर
तुमने
पहली कविता लिखी थी
उसके रंग की
स्याही में भिगोकर
शब्द 
अब भी उभरे हैं
तुम्हारे मन
और 
मेरे विचारों पर।
पलाश
पर अब भी तुम 
लिखना चाहती हो जीवन
और
हमारे रिश्ते को।
पलाश
सच 
कितना सच है
ये 
तुममे और मुझमें 
समान महकता है।
पलाश 
उम्र के दस्तावेज पर
अंकित है 
और महकता रहेगा।

18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 02 मार्च 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी बहुत आभार आपका यशोदा जी...।

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  2. बहुत आभार आदरणीय...।

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  3. पलाश सी खिलती रचना
    बहुत सुंदर

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    1. जी बहुत आभार आपका...।

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  4. वाह!!
    'पलाश
    हमारे जीवन की
    किताब का
    आवरण है।
    पलाश पर
    तुमने
    पहली कविता लिखी थी
    उसके रंग की
    स्याही में भिगोकर
    शब्द
    अब भी उभरे हैं
    तुम्हारे मन
    और
    मेरे विचारों पर।'
    क्या बात है सर! बहुत खूब! सुंदर कविता

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    1. अरविंद जी बहुत आभार..।

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  5. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना

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    1. अभिलाषा जी बहुत आभार...

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  6. प्रकृति के सौंदर्य को निखारती सुन्दर कविता, मुग्ध करती है, नमन सह।

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    1. शांतनु जी बहुत आभार...

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  7. पलाश के फूलों सी महकती मनमोहक सृजन

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  8. सुन्दर रचना

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  9. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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