आदमी ने सभ्यता को
पहिये पर रख
पहुंचा दिया है
दोबारा उसके पुरातन काल में
अब पहिया
दोबारा लौटेगा
बिना सभ्यता के
वह
गढना नहीं चाहता
दोबारा पहिया सभ्यता
पहिये पर बहुत भार है
सभ्यता के खून के धब्बे भी हैं
वह युग की पीठ पर
बंधा है
पुरातन की युगों की सजा भोग रहा है
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