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Saturday, February 20, 2021

जला हुआ पेड़

जब भी कोई

पेड़ 

जलता है

तो केवल

उसका शरीर नहीं झुलसता

साथ झुलसते हैं

संस्कार

जीवन

उम्मीद

और भरोसा।

जले हुए

पेड़ के जिस्म की गंध

एक 

सदी के विचारों के 

धुआं हो जाने जैसी है।

जले हुए पेड़

में

बाकी रह जाता है

झुलसा सा मानवीय चेहरा

झुलसी हुई सदी

और 

उसके बगल से झांकती

सहमी सी प्रकृति।

झुलसने और झुलसाने के बीच

कहीं बीच

खड़ा है

आदमी का आदमखोर जंगल

और 

विचारों के लिबास में

आधी झुलसी 

सभ्यता...।

13 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 फरवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आभार आदरणीय अग्रवाल जी...।

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  3. सुंदर प्रस्तुति

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