पत्ते की
सूखी
पसलियों में
देखिये
कितना पानी है।
जमीन
के सूखने
का
दर्द
कुछ कम हो जाया करता है
पत्तों के
ऐसे
कर्मठ जिस्म पाकर।
पत्ते का
हौंसला देखिये
सूखे
जिस्म भी
सहेज
सकते हैं
धरती के लिए
पानी।
पानी
यदि जीवन है
तो
पत्ते
प्रकृति की उस
कक्षा
के
सबसे
गुणी
छात्र हैं।
प्रकृति ने
पत्तों की शिराओं में
सूखने पर
हौंसले का जादू
समाहित किया है
देखिये
पत्ते का ये पानी
एक दिन
धरती बचाएगा...।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 06 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बहुत आभार
ReplyDeleteदेखिये
ReplyDeleteपत्ते का ये पानी
एक दिन
धरती बचाएगा...।
आमीन !!!!!
आशा जगाती बेहतरीन कविता
जी बहुत आभार...
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी बहुत आभार...
Deleteबहुत ही सुन्दर कृति।
ReplyDeleteजी बहुत आभार...
Deleteवाहः
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जी बहुत आभार विभा जी..। सुप्रभात
Deleteबहुत सुंदर व सार्थक रचना।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका...।
Deleteहमारी भी यही प्रार्थना है ।
ReplyDeleteजी...बहुत आभार
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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