तुम्हें याद है
पहले फूल
जिन्हें हमने
साथ
छूआ था।
तुम कैसे
ठिठक गईं थीं
फूलों का सफेदीपन देखकर।
फूल और तुम
घंटों बतियाये थे
उनींदे
फूल
तुम्हें
बतियाते देख
कितने
खुश थे।
फूलों की दुनिया
में
सफेद
फूल
उम्रदराज़ कहलाते हैं
तुम और हम
उम्रदराज़ होने तक
सफेद
फूलों के साथ बिताएंगे हर दिन।
सच कहूं
फूलों से बतियाना
प्रेम
का
निवेदन
है
तुम्हारा
फूलों से बतियाना
सफेद फूलों जैसा है।
आओ
फूलों की रंगीन दुनिया में
एक
छत
सफेद फूलों की भी सजाएं...।
बहुत सुन्दर और सटीक रचना।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका....।.
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 17 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बहुत आभार यशोदा जी...।
ReplyDeleteअहा, प्रेम की पवित्रता कह गया आपका मन ।सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteजी संगीता जी..प्रेम और सत्य श्वेत होते हैं...। आभार
Deleteसफेद
ReplyDeleteफूल
उम्रदराज़ कहलाते हैं
तुम और हम
उम्रदराज़ होने तक
सफेद
फूलों के साथ बिताएंगे हर दिन
वाह!!!
सफेद फूलों सी ही शुभ्रता लिए हुए मनभावन सृजन।
बहुत आभार सुधा जी...।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत आभार आलोक जी...।
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