कुछ
अहसास
जो
पथरा से गए हैं
उम्र
की कोख में।
उम्र
की
बुजुर्ग
होती
जिद के बीच
कुछ
शब्द बचा रखे हैं
कविता के लिए
प्रेम के लिए।
कहा जाता है
प्रेम
उम्रदराज़ भाषा में
गहरे तक
उभरता है।
इस उम्र में
भाव
की उकेरी गई
लकीरें
बहुत
सीधी होती हैं
आसानी से पढ़ी
जा सकने वाली।
सच
प्रेम
इसी उम्र
में
अनुभव होकर
जिंदगी
बन जाता है...।
वाह! क्या लिखें ? प्रेम की इतनी सुंदर परिभाषा के बाद, निःशब्द हूं,सादर नमन एवम वंदन ।
ReplyDeleteआभार आपका...नेह शब्द पाकर भरोसा हो जाता है...।
Deleteबहुत सुंदर संदीप जी- ---! उम्रदराज प्रेम की पाग अनुभव और संवेदनाओं में पगी होती है। बहुत -बहुत आभार प्रेम की नई परिभाषा गढ़ने केलिए।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका रेणु जी...। मन और विचारों का साथ हो तो भावनाओं का प्रवाह अनवरत होता है...।
Deleteआपने उम्रदराज की तो बात की ,लेकिन उम्र दराज़ भाषा की ...यूँ भाषा से मैं उम्रदराज़ होने का ही एहसास कर रही हूँ . भले ही एहसास पत्थर हो गए हों ( जो कि अक्सर होते नहीं ) वरना लिखना आसान न होता ...बस अनुभव की आंच में पाक कर मजबूत हो जाते हैं ..मुझे तो लगता है कि इस उम्र का प्रेम यदि कहीं ज़िन्दगी देता है तो कहीं उम्र भर का रोना भी दे सकता है ... अनुभव तो नहीं है बस विचार है .... बाकी आप अपनी जाने ...
ReplyDeleteलिखा बहुत अच्छा है ..कुछ सोचने पर मजबूर करता हुआ ...
आभार आपका संगीता जी। उम्रदराज हो जाना शीर्ष के नजदीक पहुंचना होता है, आपकी प्रत्येक बात से मैं सहमत हूं, लेकिन प्रेम का शीर्ष उम्र के उसी कालखंड में निखरता है क्योंकि उस दौर में शब्दों के साथ समझ और अपनेपन का भी अहसास गहरा हो उठता है। अभिव्यक्ति के दौरान भाव हमारे कंठ और पलकों तक आ जाते हैं, ये नेह, रिश्तों और उम्र का चरम ही तो है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, प्रेम जब प्रतिदान की आशा के बिना केवल प्रेम के लिए ही होता है शायद उसे ही परिपक्व प्रेम कह सकते हैं, तब ही वह जीवन का पर्याय बन जाता है
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका अनीता जी...। प्रेम की पूर्णता प्रेम के गहन हो जाने में ही है, प्रेम का गहन हो जाना अक्सर आंखों में और हमारे भाव नजर आता है। भाव जब प्रेम को महसूस कर उसके रागी हो जाएं तब शिखर नजर आने लगता है। आपको कविता पसंद आई बहुत आभारी हूं।
Deleteदिव्या जी आपको कविता पसंद आई आभार।
ReplyDeleteभावों की उकेरी ग
ReplyDeleteईं लकीरें बहुत सीधी होती हैं बहुत बहुत सुन्दर रचना
आभार आलोक जी...
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