रंगों का समाज
खुशियों
के
मोहल्ले
की
चौखट पर
उकेरा
गया महावर है।
रंगों
के
समाज में
उम्र की
हरेक सीढ़ी
का
कद
निर्धारित है।
रंगों
का समाज
जीने
की जिद
को
खुशी
की
मीठी सी
आइसक्रीम
में भिगोता है।
रंगों
के समाज
में
खरपतवार
भी
अंकुरित हो उठते हैं
उम्र की
चढ़ती सीढ़ी के
इर्दगिर्द।
रंगों का समाज
उम्र के
महाग्रंथ
को हिज्जे की तरह
नहीं पढ़ता
वो
उसे
कंठस्थ करता है।
रंगों के समाज
में
फीकापन
उम्र
बुढ़ापा नहीं होता।
वो चटख रंगों
का समाज
फीके रंगों
को
भी
गहरे आत्मसात करता है।
बस यही दर्शन
है...।
होली पर सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २ अप्रैल २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी बहुत आभार आपका...।
ReplyDeleteरंगों को कई रूपों में रूपांतरित कर अनोखे रंग दर्शा दिए जीवन के,सुंदर रचना, हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी हूं आपका जिज्ञासा जी...। रोज सीखता हूं प्रकृति से और जो समझ पाता हूं उसे लिख देता हूं...।
Deleteरंगों के समाज में बुढ़ापा नहीं होता .... मन के अन्दर तक पैबस्त हो गयी ये बात ... चटक रंग हलके रंगों को और उभार कर रंगीन बना देते हैं ... किसी भी विषय पर आपके गहन विचार मिलते हैं ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ..
बहुत बहुत आभारी हूं आपका संगीता जी...। रंग हमारे जीवन में उत्साह का प्रतिबिंब हैं...हमेशा खिले से रहते हैं...।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना |शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी हूं आलोक जी आपका।
Deleteसार्थक रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी हूं आपका।
Deleteअति सुंदर रंग भरे आपने कविता में
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी हूं आपका।
Deleteमोहल्ले की चौखट पर उकेरा गया महावर,उम्र के महाग्रंथ को हिज्जे की तरह नहीं पढ़ता,रंगों के समाज में फीकापन उम्र,बुढ़ापा नहीं होता.... रचना का हर अंश विचारों की गहनता को परिपुष्ट करता हुआ। सुंदर अभिव्यक्ति। सादर।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका मीना शर्मा जी....।
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