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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

शाखों पर उगते हैं


उम्र के

पेड़

की शाखों पर

उगती

खिलखिलाहट

सयानापन

लाचारी

और बहुत कुछ।

शाखों पर

उगते हैं

कुछ

बेबस बच्चे

उनकी रुंधी हंसी।

बच्चों की पीठ पर

बचपन में

उग आती हैं

बेबसी

भूख

और तार-तार जिंदगी।

उम्र के पेड़ पर

अब उगने लगे हैं

लालच

और

लोलुपता।

कहीं-कहीं

उग रही है

कोपलें उम्मीद की।

पेड़ की शाखों से

झांक रही हैं

कुछ सूखी

और काली आंखें..।





14 टिप्‍पणियां:

  1. उफ़्फ़ , ये कैसा दृश्य है । कितनी बेबसी उग आए है ।
    मार्मिक चित्रण

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-9-21) को "है अस्तित्व तुम्ही से मेरा"(चर्चा अंक 4185) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  3. अन्तर्मन को छोटी आपकी रचना एक सच्चाई से परिचय करा गई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सटीक ! हृदय को विचलित करते उद्गार।
    शानदार भावाभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं

अभिव्यक्ति

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