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लाचारी सयानापन बेबस बच्चे पेड़ उम्र रुंधी हंसी तार-तार जिंदगी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

शाखों पर उगते हैं


उम्र के

पेड़

की शाखों पर

उगती

खिलखिलाहट

सयानापन

लाचारी

और बहुत कुछ।

शाखों पर

उगते हैं

कुछ

बेबस बच्चे

उनकी रुंधी हंसी।

बच्चों की पीठ पर

बचपन में

उग आती हैं

बेबसी

भूख

और तार-तार जिंदगी।

उम्र के पेड़ पर

अब उगने लगे हैं

लालच

और

लोलुपता।

कहीं-कहीं

उग रही है

कोपलें उम्मीद की।

पेड़ की शाखों से

झांक रही हैं

कुछ सूखी

और काली आंखें..।





अभिव्यक्ति

 प्रेम  वहां नहीं होता जहां दो शरीर होते हैं। प्रेम वहां होता है जब शरीर मन के साथ होते हैं। प्रेम का अंकुरण मन की धरती पर होता है।  शरीर  क...