वसंत
यादों के पीलेपन
का
चेहरा है।
वसंत
का चेहरा
पीला है
इस खुरदुरे समाज में
पीलापन
अब सख्त सवाल है।
गेहूंआ
होकर कसूरी गंध
पर
शब्दों की इबारत गढ़ी जा सकती है।
पीलेपन का
उम्रदराज होना
और
जगह जगह से
दरकना
वसंत नहीं माना जाता।
शब्दों की
भंगिमाओं के परे
एक
नया पीलापन आकार ले रहा है
विचारों में।
ये
उस गहरे पीले से
कुछ
हटकर है
चटख पीला।
वसंत
खेतों से होकर
उम्र की फसल पर आ थमा है।
खोजो
नए वसंत में
कुछ
पुराना और टूटता सा।