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Wednesday, March 31, 2021

उम्रदराज़ भाषा में गहरे तक उभरता है प्रेम


कुछ 

अहसास

जो 

पथरा से गए हैं

उम्र 

की कोख में।

उम्र 

की 

बुजुर्ग 

होती 

जिद के बीच

कुछ

शब्द बचा रखे हैं

कविता के लिए

प्रेम के लिए।

कहा जाता है

प्रेम

उम्रदराज़ भाषा में

गहरे तक 

उभरता है।

इस उम्र में

भाव 

की उकेरी गई

लकीरें

बहुत 

सीधी होती हैं

आसानी से पढ़ी 

जा सकने वाली।

सच

प्रेम

इसी उम्र 

में 

अनुभव होकर

जिंदगी 

बन जाता है...।

ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...