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शनिवार, 24 सितंबर 2022

चेहरों के आईने में


 वक्त 
हमारे
चेहरे बदलता है
वक्त
पढ़ा जा सकता है
हमारे चेहरे पर।
वक्त देखा जा सकता है
शब्दों में
उनके अर्थ और भाव में।
वक्त 
महसूस होता है
हर पल के मौसमी दंश में। 
वक्त महसूस होता है
अंदर से बढ़ते हौंसले में
कुछ अलग से सबक पढ़ने में
हर बार 
थककर खड़ा होने में।
चेहरों के आईने में
व्यवहार के खारेपन में
चुटकी भर मिठास में
और 
अपने किसी खास की 
हौंसला अफजाई में। 
वक्त 
नज़र आता है उम्र पर
और 
जीवन में।
वक्त के चेहरे नहीं होते
हमारे होते हैं।

समय की पीठ

 कहीं कोई खलल है कोई कुछ शोर  कहीं कोई दूर चौराहे पर फटे वस्त्रों में  चुप्पी में है।  अधनंग भागते समय  की पीठ पर  सवाल ही सवाल हैं। सोचता ह...