उम्र के
पेड़
की शाखों पर
उगती
खिलखिलाहट
सयानापन
लाचारी
और बहुत कुछ।
शाखों पर
उगते हैं
कुछ
बेबस बच्चे
उनकी रुंधी हंसी।
बच्चों की पीठ पर
बचपन में
उग आती हैं
बेबसी
भूख
और तार-तार जिंदगी।
उम्र के पेड़ पर
अब उगने लगे हैं
लालच
और
लोलुपता।
कहीं-कहीं
उग रही है
कोपलें उम्मीद की।
पेड़ की शाखों से
झांक रही हैं
कुछ सूखी
और काली आंखें..।