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Sunday, June 13, 2021

एक सख्त सजा चाहता हूँ






काश कि
बहता रक्त
तुम्हारे भी शरीर से।
काश की 
टीस में कराहते तुम भी।
काश कि
तुम्हारे उखड़ने
और 
उजड़ने पर
तुम भी
उठा सकते आवाज़।
काश कि 
तुम भी दे सकते 
कोई तहरीर।
काश कि
होती सुनवाई तुम्हारी भी।
काश कि
तुम भी 
दिलवा पाते सजा
तुम पर 
हुए
कातिलाना हमले के
आरोपियों को।
काश कि
तुम भी बदले में 
मांग सकते
मुआवजा
दस वृक्षों को 
लगाने का।
काश कि 
रोक देते तुम भी 
अपनी सेवाएं
अपनों की हत्याओं के विरोध में।
काश कि 
तुम सब
हवा
पानी
धूप
आग 
एक होकर 
कर सकते आवाज़ बुलंद।
काश कि 
हम 
मानव समझ सकते 
तुम्हारे दर्द को
और 
तुम्हें काटने से पहले
कुल्हाड़ी 
कर देते
जमींदोज...।
काश कि 
हम तुम्हारे साथ 
गढ़ते 
अपना समाज...।
मैं 
तुम्हारे कटे 
शरीर पर 
मौन नहीं
एक 
सख्त सजा चाहता हूँ
तुम मांगो या ना मांगो...।




 

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