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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

हम हाईटेक होकर जंजाली हो गए


 पहले हम 

नदियों की तरह 

प्रवाहित थे

अब तालाबों की तरह

सूख रहे हैं।

नदियों से पहले 

हम प्रदूषित हुए

अब 

हम और हमारा 

प्रदूषित भविष्य

नदियों में समा रहा है।

हमने

नदियों को 

अपनी तरह बना दिया है

हमने अपने

सुखों के लिए

नदियों को सुखा दिया।

नदियों ने हमें जीवन दिया

हमने

उन्हें

कालिख पुती मौत।

हम

और प्रदूषित हुए

अब बावड़ी, तालाब

कुएँ

और 

बच्चों को 

सुखाने लगे।

हम 

और प्रदूषित हुए

अब जंगल

खत्म करने पर आमादा हो गए

अबकी प्रदूषित से हम 

अंदर से दहकने लगे।

हमने

वन्य जीवों को

अपनी शहर की मंनोरंजन शाला में

कैद कर लिया।

हम हाईटेक होकर 

तारों से जंजाली हो गए।

हम

जंगल को क्रूर 

और

अपने को

सभ्य 

कहने लगे हैं।

हम हाईटेक जंगल 

के

मशीनी

चिलगोजे हैं।

हम

पक्षियों के हिस्से की हरियाली

भी 

छीन लाए

और 

गहरे चिंतन का

हिस्सा हो गए।

अब

सुधार पर 

सालों मनन होगा

क्योंकि

हम

समझ ही नहीं पाए 

कि

प्रदूषित 

प्रकृति नहीं

हमारी मानव जाति है...।

अभिव्यक्ति

 प्रेम  वहां नहीं होता जहां दो शरीर होते हैं। प्रेम वहां होता है जब शरीर मन के साथ होते हैं। प्रेम का अंकुरण मन की धरती पर होता है।  शरीर  क...