सुबह के
हाथ में
उसकी हथेली पर
सूरज होता है।
सूरज की
हथेली में
पूरे दिन
की उम्मीद
वाली
दमक होती है।
सुबह की शिराएं
मन के शब्दों
सी
सुवासित होती हैं।
एक
सुबह
मैं तुम्हें
अवश्य दूंगा
मेरी सुबह
तुम्हारी होगी
उसके शब्द
अभिव्यक्ति
और
उम्मीद का उजास
सब
सच है
और
एक गहरी रात
के पीछे
दबे सवाल
सुबह
के गर्भ
का
परिणाम हैं।
तुम
सुबह के लिए
जागती रहो
मेरे साथ
कई
स्याह रात।
सुबह से पहले
रात
अधिक गहरी
हो जाया करती है...।
देखो
पुरवाई चलने लगी है
सुबह का रथ
करीब ही है
बहुत करीब...।
सुन्दर सुकोमल मनोभावों की गूढ़ अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteजी...। बहुत आभार आपका...।
Deleteजी बहुत आभार आपका..।
ReplyDeleteपुरवाई चलने लगी है सुबह का रथ करीब ही है बहुत करीब...
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति।
बधाई
बहुत आभार आपका..।
Deleteवाह! बढ़िया।
ReplyDeleteजी बहुत आभार..
Deleteअलहदा अहसास ।
ReplyDeleteबहुत आभार अमृता जी...।
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