Followers

Thursday, February 11, 2021

टूटने और जुड़ने में


बहुत अधूरा सा

कभी 

पूरा नहीं होता।

कुछ टूटा सा

कभी 

गहरे टूट जाता है।

कूछ 

टूटने में

जुड़ाव की

गुंजाइश

हमेशा रहती है।

टूटने 

और 

जुड़ने में

समय

बहुत प्रमुख 

हो जाया करता है।

 

5 comments:

ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...