सुना है
बचपन का कारोबारी आया है
उसके पास
नये
और
पुराने
सभी तरह के बचपन हैं।
सुना है
वो चतुर
कारोबारी
बचपन के बदले
पूरी उम्र
खुश रहने का कोई
एग्रीमेंट भी भरवा रहा है।
सोचता हूँ
गजब का प्रबंधन है उसका
इतने बचपन
कैसे संभालता है
और
वो खुशियों के एग्रीमेंट
कहां रखता होगा।
उसके झोले में
बचपन
को सुरक्षित रखने का
हर
जरूरी सामान है
वो
मिट्टी रखता है
गीली
और उसकी महक।
वो
खेल
रखता है
बचपन वाले।
वो
खुशियां रखता है
बचपन से चिपटा कर।
वो
उसमें
आना (दाम) नहीं रखता
वो
बुजुर्गों को
बचपन पहले देता है
फिर
बच्चों को
फिर
आखिर में
युवाओं को...।
मैं
उससे मिलना चाहता हूँ
पूछना है
उसे
मुफ्त के कारोबार
में आखिर मिलता क्या है।
आखिर
क्यों
वो
इस दरिया में
बहाना चाहता है
खुशियां।
पूछना है मुझे
वो
कब तक ठहरा है
मेरे कस्बे
और
मेरी दुनिया में...।
आप्त स्वीकृति ।
ReplyDeleteजी...। आभार
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