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Friday, February 5, 2021

पायजेब बजाती है


 

सांझ 

फूलों 

के 

रंगों

की पीठ पर

रात के 

कुछ पहले तक

बैठ

पायजेब बजाती है।

पगली सी

बावरी हो आसमान में

खो जाती है।

पैरों में

फूलों 

के नेह का 

महावर 

सजाती है।

आंखों में

लाज की सुर्खी 

से 

पूरी रात सजाती है।

फूलों की देह गंध

से 

जीवन 

महकाती है।

फूलों के

मन में

अपने दुलार 

का 

एक शोख

संसार बसाती है।

गुनगुनाती सांझ

पीली सी 

जिद 

में 

अक्सर सिंदूरी हो जाती है।

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