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बुधवार, 31 मार्च 2021

चटख रंगों का समाज


 रंगों का समाज 

खुशियों 

के 

मोहल्ले 

की 

चौखट पर

उकेरा 

गया महावर है।

रंगों 

के 

समाज में

उम्र की 

हरेक सीढ़ी 

का

कद 

निर्धारित है।

रंगों 

का समाज

जीने 

की जिद 

को 

खुशी 

की 

मीठी सी

आइसक्रीम 

में भिगोता है।

रंगों 

के समाज 

में 

खरपतवार 

भी 

अंकुरित हो उठते हैं

उम्र की

चढ़ती सीढ़ी के

इर्दगिर्द।

रंगों का समाज

उम्र के 

महाग्रंथ 

को हिज्जे की तरह 

नहीं पढ़ता

वो 

उसे 

कंठस्थ करता है।

रंगों के समाज 

में 

फीकापन

उम्र 

बुढ़ापा नहीं होता।

वो चटख रंगों 

का समाज

फीके रंगों 

को 

भी 

गहरे आत्मसात करता है।

बस यही दर्शन 

है...। 

16 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ अप्रैल २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. रंगों को कई रूपों में रूपांतरित कर अनोखे रंग दर्शा दिए जीवन के,सुंदर रचना, हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका जिज्ञासा जी...। रोज सीखता हूं प्रकृति से और जो समझ पाता हूं उसे लिख देता हूं...।

      हटाएं
  3. रंगों के समाज में बुढ़ापा नहीं होता .... मन के अन्दर तक पैबस्त हो गयी ये बात ... चटक रंग हलके रंगों को और उभार कर रंगीन बना देते हैं ... किसी भी विषय पर आपके गहन विचार मिलते हैं ...
    सुन्दर प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभारी हूं आपका संगीता जी...। रंग हमारे जीवन में उत्साह का प्रतिबिंब हैं...हमेशा खिले से रहते हैं...।

      हटाएं
  4. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना |शुभ कामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  5. मोहल्ले की चौखट पर उकेरा गया महावर,उम्र के महाग्रंथ को हिज्जे की तरह नहीं पढ़ता,रंगों के समाज में फीकापन उम्र,बुढ़ापा नहीं होता.... रचना का हर अंश विचारों की गहनता को परिपुष्ट करता हुआ। सुंदर अभिव्यक्ति। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. जी बहुत आभार आपका मीना शर्मा जी....।

    जवाब देंहटाएं

अभिव्यक्ति

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