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गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

अनुभूति


 













खूबसूरती
के 
पीछे 
कोई
तर्क नहीं होता
बस एक 
अनुभूति होती है
जो 
अभिव्यक्त 
नहीं की जा सकती।
अनुभूति
श्वेत-श्याम 
और 
रंगमयी
भी नहीं होती
केवल मन में
कहीं
शब्दों की अनकही
भाषा
सरीखी है।
अनुभूति
की महक होती है
जो
बिना कहे
अधिक गहरी
सुनी जा सकती है।
अनुभूति 
में फूलों का रंग
वैसा ही होता है
जैसे 
कोई
सबसे अधिक पढ़ी गई
किताब
का हर 
वक्त सिराहने होना।
अनुभूति 
जंगल नहीं बनाती
वो 
मन में मथे 
शब्दों 
का 
आभासी संसार अवश्य 
बसाती है...।

20 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अप्रैल २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संदीप जी | अनुभूति की परिभाषा इस से बढ़कर क्या हो सकती है ! भावपूर्ण सृजन के लिए बधाई |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत आभार रेणु जी.. । हौसला बढ़ाती आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए.. ।

      हटाएं
  3. अनुभूति
    जंगल नहीं बनाती
    वो
    मन में मथे
    शब्दों
    का
    आभासी संसार अवश्य
    बसाती है...।
    बहुत सुन्दर बात ... अनुभूति शायद ऐसी ही होती है .

    जवाब देंहटाएं
  4. जी बहुत आभार आपका संगीता जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. अनुभूति जीवन के अनुभव का आईना होती है, अनुभूति का सुंदर विश्लेषण ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सचमुच खूबसूरती के पीछे कोई तर्क नहीं होता, ना ही उसकी कोई परिभाषा हो सकती है। कहते हैं ना, खूबसूरती तो देखनेवाले की निगाह में होती है।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय सर, अनुभूति विषय पर अनुभूतियों से भरी हुई सुंदर रचना। आपकी इस रचना को पढ़ कर शायरी पढ़ने का सा आनंद आता है और मन को बहुत शांति और सहजता की अनीभूति होती है । बहुत बहुत आभार इस सुंदर रचना के लिए

    जवाब देंहटाएं

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