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Thursday, April 15, 2021

अनुभूति


 













खूबसूरती
के 
पीछे 
कोई
तर्क नहीं होता
बस एक 
अनुभूति होती है
जो 
अभिव्यक्त 
नहीं की जा सकती।
अनुभूति
श्वेत-श्याम 
और 
रंगमयी
भी नहीं होती
केवल मन में
कहीं
शब्दों की अनकही
भाषा
सरीखी है।
अनुभूति
की महक होती है
जो
बिना कहे
अधिक गहरी
सुनी जा सकती है।
अनुभूति 
में फूलों का रंग
वैसा ही होता है
जैसे 
कोई
सबसे अधिक पढ़ी गई
किताब
का हर 
वक्त सिराहने होना।
अनुभूति 
जंगल नहीं बनाती
वो 
मन में मथे 
शब्दों 
का 
आभासी संसार अवश्य 
बसाती है...।

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