गरीब
की झोपड़ी का भूगोल
क्या कभी
किसी चुनाव का
पोस्टर होगा ?
गरीब
किसी चुनाव में चयन का आधार होकर
विकास के दावों
की छाती पर
पैर रखकर
बना सकेंगे
कभी
अपनी भी कोई खुशहाल दुनिया।
पेट में अंतड़ियों का
विज्ञान
भूख के भूगोल में दबकर
हमेशा से
इतिहास होता रहा है।
टपकती झोपड़ियों में
सपने भी
हवा के साथ
झूलते रहते हैं
बांस की किसी कील पर
होले से लटके
किसी ख्यात फिल्मी सितारे के
पोस्टर की भांति।
पोस्टर में दरअसल
गरीब की
ख्वाहिशें झूलती हैं
आंखों में
सभ्यता के दो चमकीले बटन
और
शरीर पर
बेमेल और बेरंग से कपड़े
और
अमूमन
नंगा जिस्म।
गरीब
क्या है साहब ?
किसी
नाले के किनारे
गंदगी के बीच
जिंदगी की
जबरदस्त आपाधापी।
अर्थ में विभाजित
समाज में
उछाल दी जाने वाली
चवन्नी
या
आठ आना
जिसे
उठाने में
पैरों तले
अक्सर कुचल दिए जाते हैं
गरीबों के हाथ
इस बेरहम
जंगल में
भागते महत्वकांक्षी
मतभेद वाली
जिद के नीचे।
गरीब केवल चुनावी
बिल्ले की तरह है
जिसे चुनाव के दौरान
सफेदपोश
अपने कुर्ते पर सजाते रहे हैं
और चुनाव होते ही
कुर्ते सहित
उतार फेंकते हैं
उस गरीब बिल्ले को।
70 के दशक के
गरीब चुनावी बिल्ले
अब 21वीं
सदी तक आते आते
सठिया गए सिस्टम
की
सबसे बड़ी प्रदूषित
मानसिकता की विवशता कहलाते हैं।
अब
वे गरीब के साथ
नाउम्मीद गरीब हैं
जिन्हें केवल
रोटी
कपड़ा
और
श्रम में ही खोजना है
पसीने से चिपटी
देह वाला कोई
नमकीन सपना।
( बिल्ला का अर्थ पूर्व के वर्षां में जब चुनाव मतपत्र से हुआ करते थे तब नेताओं के पक्ष में बिल्ले बनाकर बांटे जाते थे जिन्हें कपड़ों पर लगाया जाता था )
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (22 -6-21) को "योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभारी हूं आपका कामिनी जी, आपने मेरी रचना को सम्मान दिया उसके लिए साधुवाद। नेह और भरोसा यूं ही बनाए रखियेगा।
Deleteउपेक्षित सर्वहारा के जीवन की कटु सच्चाई !
ReplyDeleteनमस्कार आदरणीय गगन शर्मा जी...मैं जानता हूं कि इनकी जिंदगी बेहद सख्त है और राजनीति इन्हें अब तक केवल छलती आई है लेकिन फिर भी उम्मीद करता हूं कोई सवेरा आएगा केवल इनके....। आभार आपका।
ReplyDeleteसाहित्यिक धर्म हेतु सार्थक लेखन..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी हूं आपका विभा रानी जी।
Deleteबहुत सुंदर और सार्थक सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी हूं आपका अनुराधा जी।
Deleteबहुत ही सशक्त लेखन ...
ReplyDeleteजी बहुत आभारी हूं आपका सीमा जी...।
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