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मंगलवार, 27 जुलाई 2021

जिंदगी मुस्कुरा उठेगी



जब
खुशी से
सराबोर
हम दोबारा बुनेंगे
जीवन।
ये
भय की अंधियारी
बीत जाएगी।
सुबह
खुलकर
मिलेंगे
गले
और
लगाएंगे मरहम
अपनों के दर्द पर।
बेहद कठिन सफर है
आंखों में
अपनों के असमय चले जाने का
दर्द
कहीँ कोरों पर
नमक के बीच
आ ठहरा है।
आएगी सुबह
जब
थमी सी जिंदगी
मुस्कुरा उठेगी...।

21 टिप्‍पणियां:


  1. लाख दुःखों का पहाड़ गिरे लेकिन जीवन में आस का महीन कोना बाकी हो तो जीना दूभर नहीं होता, फिर से एक नई सुबह होती है

    बहुत सुन्दर

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    1. आपकी गहन प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूं कविता जी।

      हटाएं
  2. काश ! वो समय जल्दी आये ।

    दर्द
    कहीँ कोरों पर
    नमक के बीच
    आ ठहरा है।
    बेहतरीन पंक्तियाँ ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी गहन प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूं संगीता जी।

      हटाएं
  3. दर्द
    कहीँ कोरों पर
    नमक के बीच
    आ ठहरा है।
    आएगी सुबह
    जब
    थमी सी जिंदगी
    मुस्कुरा उठेगी.
    निराशा से आशा की ओर उन्मुख करतामर्मस्पर्शी सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी गहन प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूं मीना जी।

      हटाएं
  4. दर्द
    कहीँ कोरों पर
    नमक के बीच
    आ ठहरा है।

    बहुत सुंदर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  5. आभारी हूं आपका अनीता जी। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. दर्द और दर्द के गर्भ में डूबे मन को उबारती सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  7. समय को ऐसे ही लम्हों का इंतज़ार है ...
    बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं

अभिव्यक्ति

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