हमेशा केवल तुममे
नज़र आती है...।
जानता हूँ
जिंदगी
तुम्हारे
सपनों पर हमेशा रखती है
तुम्हारे मुस्कुराने की शर्त।
बेटी
तुम्हें
लिखना
और पढ़ना
मेरे लिए
कठिन है
क्योंकि शब्दों
के चयन में
उलझ जाता हूँ
हां
तुम्हें महसूस करता हूँ
हर पल
तुम्हारे
चेहरे को देखकर।
अच्छा पिता
हूँ या नहीं
लेकिन
तुम्हें
ना हारते देख सकता हूँ
ना थकते।
अभी जिंदगी
को कांधे बैठाकर घूमना है तुम्हें
सपनों
को बाजू में दबाए..।
दौड़ना है
सपनों के सच होने तक
और
सपनों
के मुस्कुराने तक...।
मैं जानता हूँ
तुम्हें पता है
तुम्हारी आह
मेरी
श्वास
की गति
प्रभावित करती है
तुम
जीतोगी
क्योंकि
तुम्हारी मुस्कान तुम्हारी ताकत है
और
तुम
ReplyDeleteजीतोगी
क्योंकि
तुम्हारी मुस्कान तुम्हारी ताकत है
और
मेरी भी...।
अवश्य जीतेगी... जब पिता का स्नेह उसका मनोबल संवर्द्धन करेगा । पिता द्वारा पुत्री के लिए ममत्व का भाव लिए अत्यंत सुन्दर सृजन।
बहुत बहुत आभार मीना जी...।
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (3-8-21) को "अहा ये जिंदगी" '(चर्चा अंक- 4145) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत आभार कामिनी जी...मेरी रचना को स्थान देने के लिए खूब आभार और साधुवाद।
Deleteपिता की भावनाओं को साकार करती रचना
ReplyDeleteबहुत आभारी हूं आपका आदरणीय शर्मा जी।
ReplyDeleteइस कविता के सौंदर्य को एक भावुक पिता से अधिक कौन देख सकता है, अनुभूत कर सकता है शर्मा जी। मैं भी ऐसा ही एक पिता हूँ। कविता का अक्षर-अक्षर मेरे मन में रच-बस गया है। आभार एवं अभिनंदन आपका।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका जितेंद्र जी...। बेटियां होती ही इतना प्यारी हैं...उनका दर्द इस कायनात का सबसे बडा और असहनीय दर्द महसूस होता है।
ReplyDeleteआत्मीयता और स्नेह से सराबोर भाव, बेटियों के लिए एक पिता के मन की सुंदर व्याख्या, ज़रूर बेटी गौरवान्वित होगी आपके मनोभावों को समझकर, मेरी बहुत शुभकामनाएँ आपको और लाड्ली दोनों को।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका जिज्ञासा जी। बिटिया से नेह और बिटिया का नेह इस दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक है, सबसे खूबसूरत भाव हैं जिंदगी के....।
Deleteअहा ! ये ज़िन्दगी । एक पिता के सारे मनोभाव उड़ेल दिए हैं , बेटी की हंसी में ,उसके जीतने में ही पिता को जीत नज़र आती है ।
ReplyDeleteबिटिया को मेरी शुभकामनाएँ और आशीर्वाद ।
आभार आपका संगीता जी....। वाकई बिटिया का पिता ही समझ सकता है कि उसके होने के बाद घर कैसे खिलखिलाता है।
Delete'तुम्हें पता है
ReplyDeleteतुम्हारी आह
मेरी
श्वास
की गति
प्रभावित करती है'... एक पिता के प्यार की इससे अधिक सुन्दर अभिव्यक्ति क्या हो सकती है? खूबसूरत रचना संदीप जी!
आदरणीय गजेंद्र जी बहुत आभार आपका...सच बेटियों के होने से समझ आता है कि जिंदगी कितनी खुशहाल है। उनका दर्द मुझे तो जीवन का सबसे गहरा दर्द महसूस होता है।
ReplyDeleteबहुत बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसच कहा आपने बच्चों में नज़र आती है ज़िंदगी उनके सपने पलकों पर उठाकर दौड़ती है ज़िंदगी।
सादर नमस्कार।
जी बहुत. बहुत आभार आपका अनीता जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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