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Sunday, August 1, 2021

अहा ये जिंदगी

जिंदगी
हमेशा केवल तुममे 
नज़र आती है...।
जानता हूँ
जिंदगी
तुम्हारे 
सपनों पर हमेशा रखती है
तुम्हारे मुस्कुराने की शर्त।
बेटी
तुम्हें
लिखना 
और पढ़ना
मेरे लिए
कठिन है
क्योंकि शब्दों
के चयन में 
उलझ जाता हूँ
हां 
तुम्हें महसूस करता हूँ
हर पल
तुम्हारे
चेहरे को देखकर।
अच्छा पिता
हूँ या नहीं
लेकिन 
तुम्हें 
ना हारते देख सकता हूँ
ना थकते।
अभी जिंदगी
को कांधे बैठाकर घूमना है तुम्हें
सपनों 
को बाजू में दबाए..। 
दौड़ना है
सपनों के सच होने तक
और 
सपनों 
के मुस्कुराने तक...।
मैं जानता हूँ
तुम्हें पता है
तुम्हारी आह
मेरी 
श्वास 
की गति
प्रभावित करती है
तुम 
जीतोगी 
क्योंकि 
तुम्हारी मुस्कान तुम्हारी ताकत है
और 
मेरी भी...।

17 comments:

  1. तुम
    जीतोगी
    क्योंकि
    तुम्हारी मुस्कान तुम्हारी ताकत है
    और
    मेरी भी...।
    अवश्य जीतेगी... जब पिता का स्नेह उसका मनोबल संवर्द्धन करेगा । पिता द्वारा पुत्री के लिए ममत्व का भाव लिए अत्यंत सुन्दर सृजन।

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  2. बहुत बहुत आभार मीना जी...।

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (3-8-21) को "अहा ये जिंदगी" '(चर्चा अंक- 4145) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत आभार कामिनी जी...मेरी रचना को स्थान देने के लिए खूब आभार और साधुवाद।

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  4. पिता की भावनाओं को साकार करती रचना

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  5. बहुत आभारी हूं आपका आदरणीय शर्मा जी।

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  6. इस कविता के सौंदर्य को एक भावुक पिता से अधिक कौन देख सकता है, अनुभूत कर सकता है शर्मा जी। मैं भी ऐसा ही एक पिता हूँ। कविता का अक्षर-अक्षर मेरे मन में रच-बस गया है। आभार एवं अभिनंदन आपका।

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  7. जी बहुत आभार आपका जितेंद्र जी...। बेटियां होती ही इतना प्यारी हैं...उनका दर्द इस कायनात का सबसे बडा और असहनीय दर्द महसूस होता है।

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  8. आत्मीयता और स्नेह से सराबोर भाव, बेटियों के लिए एक पिता के मन की सुंदर व्याख्या, ज़रूर बेटी गौरवान्वित होगी आपके मनोभावों को समझकर, मेरी बहुत शुभकामनाएँ आपको और लाड्ली दोनों को।

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    1. आत्मीय आभार आपका जिज्ञासा जी। बिटिया से नेह और बिटिया का नेह इस दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक है, सबसे खूबसूरत भाव हैं जिंदगी के....।

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  9. अहा ! ये ज़िन्दगी । एक पिता के सारे मनोभाव उड़ेल दिए हैं , बेटी की हंसी में ,उसके जीतने में ही पिता को जीत नज़र आती है ।
    बिटिया को मेरी शुभकामनाएँ और आशीर्वाद ।

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    1. आभार आपका संगीता जी....। वाकई बिटिया का पिता ही समझ सकता है कि उसके होने के बाद घर कैसे खिलखिलाता है।

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  10. 'तुम्हें पता है
    तुम्हारी आह
    मेरी
    श्वास
    की गति
    प्रभावित करती है'... एक पिता के प्यार की इससे अधिक सुन्दर अभिव्यक्ति क्या हो सकती है? खूबसूरत रचना संदीप जी!

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  11. आदरणीय गजेंद्र जी बहुत आभार आपका...सच बेटियों के होने से समझ आता है कि जिंदगी कितनी खुशहाल है। उनका दर्द मुझे तो जीवन का सबसे गहरा दर्द महसूस होता है।

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  12. बहुत बहुत ही सुंदर सृजन।
    सच कहा आपने बच्चों में नज़र आती है ज़िंदगी उनके सपने पलकों पर उठाकर दौड़ती है ज़िंदगी।
    सादर नमस्कार।

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  13. जी बहुत. बहुत आभार आपका अनीता जी

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