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Wednesday, August 18, 2021

सपने ऐसे ही तो होते हैं

हां 
सच 
सपने ऐसे ही तो हैं
सुर्ख
और 
रसीले...। 
हां
सच यह भी है 
जिंदगी
में 
हर पल बदलता है
उम्र का चेहरा
और 
उम्र के कई पढ़ाव बाद
झुर्रियों के बीच
सूखी आंखों में
सपनों
के सूखे शरीर
टंगे होते हैं
घर की सबसे 
बेबस 
मजबूरी की डोर 
पर 
सबसे जिद्दी कील पर। 
सपनों के रंग
उम्र के आखिर पढ़ाव पर 
मटमैले भूरे हो जाते हैं
तब 
आंखों में 
यही सपने
गहरे समा चुके होते हैं
समय के
रेगिस्तान
के धुंधलके में...।



33 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय गगन जी।

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  2. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी। मेरी रचना को स्थान देने के लिए साधुवाद।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका श्वेता जी।

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  4. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका विभा रानी जी।

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  5. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका सुशील जी।

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  6. समय के रेगिस्तान में धुंधले सपने समय के साथ आँख में रेत की किरकिरी भी ले आते हैं । चुभने लगते हैं फिर यही सपने ।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका संगीता जी।

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  7. सपनों का जमीनी हकीकत... बहुत सुंदर बानगी ।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका अमृता जी।

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  8. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२१-०८-२०२१) को
    'चलो माँजो गगन को'(चर्चा अंक- ४१६३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    Replies
    1. जी बहुत आभारी हूं अनीता जी आपका। मेरी रचना को स्थान देने के लिए...। साधुवाद, अन्यथा न लें...मैं बताना जरुरी समझता हूं कि यह रचना इस मंच पर आ चुकी है एक दिन पहले ही...। मैं केवल इतना चाहता हूं कि आज मेरी रचना की जगह कोई और रचना को स्थान दिया जा सकता था...इसीलिए मैं लिख रहा हूं...साधुवाद...। मैं यह भी मानता हूं कि यह कार्य संभवतः त्रुटिवश हो गया हो...।

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  9. जीवन का सटीक चित्रण। खूबसूरत और गहन रचना।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।

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  10. बहुत खूबसूरत चित्रण

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका प्रीति जी।

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  11. उम्र के कई पढ़ाव बाद
    झुर्रियों के बीच
    सूखी आंखों में
    सपनों
    के सूखे शरीर
    टंगे होते हैं
    वाह!!!
    सपनों के सूखे शरीर!!!
    बहुत ही सुन्दर चिन्तनपरक।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।

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  12. स्वप्न और यथार्थ का संगम ,सुंदर रचना |

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका अनुपमा जी।

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  13. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका उर्मिला जी।

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  14. 'सपनों के रंग
    उम्र के आखिर पढ़ाव पर
    मटमैले भूरे हो जाते हैं'...बहुत खूब!

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका गजेंद्र जी।

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  15. सपनों के रंग
    उम्र के आखिर पढ़ाव पर
    मटमैले भूरे हो जाते हैं... सुन्दर अभिव्यक्ति!... बहुत अच्छी रचना!

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    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका गजेंद्र जी।

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  16. ओह , हृदय स्पर्शी सृजन।
    गहन संवेदना समेटे।
    बहुत सुंदर।

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    Replies
    1. जी बहुत आभार आपका कुसुम जी।

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  17. सपने में उठे भाव और उनके माध्यम से विविध बिंदु को छूती आपकी गहरी रचना ... बहुत भावपूर्ण सृजन ...

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    Replies
    1. जी बहुत आभार आपका दिगम्बर नासवा जी।

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