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Wednesday, August 18, 2021

सपने ऐसे ही तो होते हैं

हां 
सच 
सपने ऐसे ही तो हैं
सुर्ख
और 
रसीले...। 
हां
सच यह भी है 
जिंदगी
में 
हर पल बदलता है
उम्र का चेहरा
और 
उम्र के कई पढ़ाव बाद
झुर्रियों के बीच
सूखी आंखों में
सपनों
के सूखे शरीर
टंगे होते हैं
घर की सबसे 
बेबस 
मजबूरी की डोर 
पर 
सबसे जिद्दी कील पर। 
सपनों के रंग
उम्र के आखिर पढ़ाव पर 
मटमैले भूरे हो जाते हैं
तब 
आंखों में 
यही सपने
गहरे समा चुके होते हैं
समय के
रेगिस्तान
के धुंधलके में...।



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