प्रेम
ऐसा ही होता है
अंदर से
बेहद शांत।
जैसे कोई
रंगों के महोत्सव
के
बीच
किसी अधखिले फूल की
प्रार्थना।
कविताएं मन तक टहल आती हैं, शब्दों को पीठ पर बैठाए वो दूर तक सफर करना चाहती हैं हमारे हरेपन में जीकर मुस्कुराती हैं कोई ठोर ठहरती हैं और किसी दालान बूंदों संग नहाती है। शब्दों के रंग बहुतेरे हैं बस उन्हें जीना सीख जाईये...कविता यही कहती है।
संदीप कुमार शर्मा, संपादक, प्रकृति दर्शन मासिक पत्रिका(प्रकृति दर्शन पत्रिका पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है) वर्ष 2024 में श्री कल्पतरु संस्थान जयपुर द्वारा आयोजित समारोह में महामहिम राज्यपाल श्री कलराज मिश्र जी द्वारा ‘वृक्ष मित्र’ सम्मान प्रदान किया गया। इस दौरान ट्रीमैन ऑफ इंडिया श्री विष्णु लांबा जी सहित पर्यावरण पर कार्य कर रहे श्री कल्पतरु संस्थान के कार्यकर्ता विशेष रुप से उपस्थित थे। वर्ष 2025 में मध्यप्रदेश खंडवा में शुरुआत संस्था द्वारा आयोजित समारोह में वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश बादल जी द्वारा ‘गणतंत्र के रक्षक’ सम्मान प्रदान किया गया। वर्ष 2025 में ही राजस्थान के अलवर स्थित भीकमपुरा में तरुण भारत संघ द्वारा आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह जी द्वारा ‘प्रकृति संवादक’ सम्मान प्रदान किया गया।
कहीं कोई खलल है कोई कुछ शोर कहीं कोई दूर चौराहे पर फटे वस्त्रों में चुप्पी में है। अधनंग भागते समय की पीठ पर सवाल ही सवाल हैं। सोचता ह...
बहुत बढ़िया संदीप जी। प्रेम के जितने रुप उतनी परिभाषाएं। सुन्दर मनोरम, प्रेमाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका रेणु जी...आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय रवींद्र जी।
हटाएंबहुत सुंदर और सच!
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका मनीषा जी।
हटाएंसच है..किसी अधखिले फूलों की प्रार्थना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्षणिका।
जी बहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी।
हटाएंसुंदर भावपूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका अनीता जी।
हटाएंवाह!सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका शुभा जी।
हटाएंकविता नहीं, एक फूल-सा अहसास.
जवाब देंहटाएंअभिनन्दन !
जी बहुत बहुत आभार आपका।
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका सरिता जी।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका दीपक जी।
हटाएंएहसासों की अति सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
हटाएंसुंदर, सार्थक रचना !........
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
जी बहुत बहुत आभार आपका
हटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका अनीता जी।
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