वक्त
हमारे
चेहरे बदलता है
वक्त
पढ़ा जा सकता है
हमारे चेहरे पर।
वक्त देखा जा सकता है
शब्दों में
उनके अर्थ और भाव में।
वक्त
महसूस होता है
हर पल के मौसमी दंश में।
वक्त महसूस होता है
अंदर से बढ़ते हौंसले में
कुछ अलग से सबक पढ़ने में
हर बार
थककर खड़ा होने में।
चेहरों के आईने में
व्यवहार के खारेपन में
चुटकी भर मिठास में
और
अपने किसी खास की
हौंसला अफजाई में।
वक्त
नज़र आता है उम्र पर
और
जीवन में।
वक्त के चेहरे नहीं होते
हमारे होते हैं।
वक्त को परिभाषित करती बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका...
Deleteबहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआभार आपका अनीता जी...।
Deleteनिरंतर, निर्बाध अथक
ReplyDeleteनिर्विकार, भावहीन,निष्ठुर
वक़्त चलता रहता है
सृष्टि के रहस्यों को
सोखता हुआ
मन ही मन हँसता हुआ
माटी की कठपुतलियों की
जीवन-यात्रा पर...।
----
भावपूर्ण अति सुंदर सृजन सर।
सादर।
बहुत सुंदर...। बहुत बहुत आभार आपका श्वेता जी।
Deleteअपने किसी खास की
ReplyDeleteहौंसला अफजाई में।
वक्त
नज़र आता है उम्र पर
और
जीवन में।
वक्त के चेहरे नहीं होते
हमारे होते हैं।
बहुत सटीक एवं सार्थक सृजन
वाह!!!
सुधा जी आभार आपका....।
Delete