वक्त
हमारे
चेहरे बदलता है
वक्त
पढ़ा जा सकता है
हमारे चेहरे पर।
वक्त देखा जा सकता है
शब्दों में
उनके अर्थ और भाव में।
वक्त
महसूस होता है
हर पल के मौसमी दंश में।
वक्त महसूस होता है
अंदर से बढ़ते हौंसले में
कुछ अलग से सबक पढ़ने में
हर बार
थककर खड़ा होने में।
चेहरों के आईने में
व्यवहार के खारेपन में
चुटकी भर मिठास में
और
अपने किसी खास की
हौंसला अफजाई में।
वक्त
नज़र आता है उम्र पर
और
जीवन में।
वक्त के चेहरे नहीं होते
हमारे होते हैं।