जीने के लिए
कोई खास हुनर नहीं चाहिए इस दौर में
केवल हर रोज
हर पल
हजार बार मर सकते हो ?
लाख बार धक्का खाकर
उस कतार से
बाहर और आखिरी तक पहुंचकर
दोबारा कतार का हिस्सा हो सकते हो ?
बिना शिकायत अंदर ही अंदर
रोते रहिए
चेहरे पर फिर भी मुस्कान बरकरार रख सकते हो ?
आगे चलते व्यक्ति को
गलत साइड ओवरटेक कर
चाहो तो
दाखिल हो सकते हो
अमानवीयता के जंगल में यदि हां ?
तो जिंदगी आसान है
लेकिन
यह न कहना
कि ये भी कोई जिंदगी है।
जिंदगी का अधिकांश भू भाग
इन्हीं तरह की कशमकश से भरा होता है।
जीवन इसी जद्दोजहद का नाम है
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