जीने के लिए
कोई खास हुनर नहीं चाहिए इस दौर में
केवल हर रोज
हर पल
हजार बार मर सकते हो ?
लाख बार धक्का खाकर
उस कतार से
बाहर और आखिरी तक पहुंचकर
दोबारा कतार का हिस्सा हो सकते हो ?
बिना शिकायत अंदर ही अंदर
रोते रहिए
चेहरे पर फिर भी मुस्कान बरकरार रख सकते हो ?
आगे चलते व्यक्ति को
गलत साइड ओवरटेक कर
चाहो तो
दाखिल हो सकते हो
अमानवीयता के जंगल में यदि हां ?
तो जिंदगी आसान है
लेकिन
यह न कहना
कि ये भी कोई जिंदगी है।
जिंदगी का अधिकांश भू भाग
इन्हीं तरह की कशमकश से भरा होता है।
जीवन इसी जद्दोजहद का नाम है
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएंबहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएंसच जिंदगी में कैसा भी एक हुनर हो तो उससे भी जिंदगी चल जाती है,,भले ही कैसे कर के भी चले,
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएं