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बुधवार, 25 जून 2025

नेह से उकेरा गया महावर है प्रेम



 प्रेम 

तुम्हारे चेहरे पर

मुझे देखकर

आने वाली मुस्कान ही तो है।

प्रेम 

तुम्हें छूते ही 

गहरे तक आंखों में सुर्खी का घुल जाना 

प्रेम ही तो है।

प्रेम 

तुम्हें बार-बार दरवाजे तक लाता है

मेरे इंतजार में

और मुझे

हर रात कई बार 

तुम्हें गहरी नींद में सोए देखने

और देखकर

आनंद पाने को जगाता है।

प्रेम

तुम्हारे शरीर में आत्मा 

और भाव का स्पंदन है

और

मेरे शरीर में 

तुम्हारे हर पल होने का शास्वत सत्य।

सच 

प्रेम परिभाषित नहीं हो सकता 

क्योंकि

वह 

जिंदगी पर नेह से

उकेरा गया 

महावर है

जिसका अर्थ

एक स्त्री से अधिक कोई नहीं समझ सकता। 






Thanks for photograp google

 

बुधवार, 18 जून 2025

तो जिंदगी आसान है

 जीने के लिए 

कोई खास हुनर नहीं चाहिए इस दौर में

केवल हर रोज

हर पल

हजार बार मर सकते हो ?

लाख बार धक्का खाकर

उस कतार से

बाहर और आखिरी तक पहुंचकर

दोबारा कतार का हिस्सा हो सकते हो ?

बिना शिकायत अंदर ही अंदर

रोते रहिए

चेहरे पर फिर भी मुस्कान बरकरार रख सकते हो ?

आगे चलते व्यक्ति को 

गलत साइड ओवरटेक कर 

चाहो तो 

दाखिल हो सकते हो

अमानवीयता के जंगल में यदि हां ?

तो जिंदगी आसान है

लेकिन 

यह न कहना

कि ये भी कोई जिंदगी है।

जिंदगी का अधिकांश भू भाग

इन्हीं तरह की कशमकश से भरा होता है। 


दरारों के बीच देखिएगा कहीं कोई पौधा

  कहीं किसी सूखती धरा के सीने पर कहीं किसी दरार में कोई बीज  जीवन की जददोजहद के बीच कुलबुलाहट में जी रहा होता है। बारिश, हवा, धूप  के बावजूद...