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शनिवार, 28 जून 2025

प्रेम

 


प्रेम 

जो तुमसे कहा न जा सके

और

मुझसे लिखा न जा सके।

केवल

अभिव्यक्त हो

तुम्हारी आंखों में

मेरे

व्यवहार में।

केवल

महसूस हो 

तुम्हारे और मेरे भाव 

की डोर में।

तुम्हारे

और 

मेरे बीच

प्रेम ही तो है

जो 

कुछ नहीं चाहता 

केवल 

बीतते हुए 

कुछ समय में से

दो बातें

और 

दो पल।

ये प्रेम ही तो है

वाकई।

1 टिप्पणी:

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